पंचतंत्र की कहानी: बंदर और लकड़ी का खूंटा – bandar aur lakdi ka khunta
जो दोस्त कठिनाई में साथ देता है वही सच्चा दोस्त होता है।
गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक था। पूरा गाँव उससे थक गया था; वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा बुरे मूड में रहता था।
एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।
“I used to be part of the sandwich generation with just one kid in school, one graduating from highschool and one particular in Center school, all though caring for my growing old Mother who was acquiring main health concerns at the time. I had been Doing work as a 3rd-quality teacher immediately after taking a crack to remain home with my kids. After a number of years, I noticed I was depressing. I began acquiring Actual physical health issues and my pressure stage was from the roof. This wasn’t what I desired to be undertaking any longer, but I had no clue what I did want. So Along with the assistance and encouragement of my partner and spouse and children, I took a task within an impartial school working in fundraising and communications.
.?" शास्त्री जी की यह सादगी और दिखावे से परे का व्यक्तित्व हर व्यक्ति के लिए बहुत प्रेरक प्रसंग माना जाएगा।
गरीबी में जन्मे कलाम ने कड़ी मेहनत और लगन से अपनी शिक्षा पूरी की और वैज्ञानिक बनने का सपना पूरा किया।
तेनाली ने अपना सिर छुपाया – तेनालीराम की कहानी
तेनालीराम और सोने के आम – तेनालीराम की कहानी
उसने खरगोश को जाने दिया और हिरण के पीछे चला गया। लेकिन हिरण जंगल में गायब हो गया था। शेर अब खरगोश को भी खोके खेद महसूस कर रहा था।
गाँधी जी ने उनको बताया की अगर यह आम आदमी आपकी बराबरी का होता तो क्या आप तब भी इन्हें थप्पड़ मार देते.
गाँधी जी ने here अपने जीवन में कभी भी मांस को हाथ नहीं लगाया. किन्तु एक बार उन्होंने मांस का सेवन किया था. जब गाँधी जी ने मांस खा लिया उस रात को गाँधी जी को पूरी रात अपने पेट में बकरे की बोलने की आवाज महसूस हुई.
एक प्रोफ़ेसर क्लास ले रहे थे. क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे.
महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया.